Sunday, 11 February 2018

Real cb editing by Shivam raj

Saturday, 10 December 2016

This is a Direct Download Befikre 2017 Movie Link

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  Shared by Shivam Raj Sakra

Thursday, 8 December 2016

केवल स्टूडेंट के लिए -:

केवल स्टूडेंट के लिए -: 🚶🏻🚶🏻

अगर प्रशन पेपर मुश्किल लगे,
या समझ में ना आये तो"...

एक गहरी सांस लो"....और जोर से चिल्लाओ,

"कमीनों, फेल ही करना है तो परिक्षा ही क्यों लेते हो।

😂😂😂😜😉.......!!!

एग्जाम के पावन मौके पर अर्ज़ है"...

पढ़ना लिखना त्याग दे नकल से रख आस".....
ओढ़ रजाई सो जा बेटा रब करेगा पास"...

पर्ची वाले बाबा की जय"....

😂😂😂😜😉.......!!!

निगाहें आज भी उस शख्स को शिद्दत से तलाश करतीहैं

जिसने कहा था, "बस दसवी कर लो, आगे पढ़ाई आसान है"।

😂😂😂😜😉.......!!!

बहुत दर्द होता है जब अध्यापिका बोलती है"...
कि तुम्हारा और तुम्हारे आगे वाले का जवाब एक है।

तब दिल से आवाज आती है,

"तो साला सवाल भी तो एक ही था"।

😂😂😂😜😉.......!!!

अगर एक अकेला टीचर सारे विषय (Subject) नहीं पढ़ा सकता तो"..

ऐसी उम्मीद क्यों करते हैं कि एक विद्यार्थी सारे विषय (Subject) पढ़े।

"जागो बच्चों जागो"

😂😂😂😜😉.......!!!

हर युग में ऐसा होता है"...
हर स्टूडेंट इश्क में खोता है"...

पढ़ाई रह जाती है सिर्फ दिखावे की"....

और फिर हाल-ए-दिल"... मार्कशीट पर बयाँ होता है।

😂😂😂😜😉.......!!!

हर तरफ पढ़ाई का साया है"...
हर पेपर में जीरो आया है"...

हम तो यूहीं चले जाते हैं बिना मुंह धोये ही"....

और लोग कहते हैं"....

 'साला रात भर पढ़कर आया है।'

😂😂😂😜😉.......!!!

जब Question पेपर हो आउट ऑफ़ कंट्रोल"....

आंसर शीट को करके फोल्ड"...
एयरोप्लेन बना के बोल"....

भैया "आल इज़ फेल।"

😂😂😂😜😉.......!!!

पढ़ाई सिर्फ दो वजह से होती है"...?

एक शौक से और दूसरा खौफ़ से।

फालतू के शौक हम रखते नहीं".....

और खौफ़ तो हमें किसी के बाप का भी नहीं।

😂😂😂😜😉.......!!!

एक विद्यार्थी की दर्द भरी शायरी"....

स्टूडेंट्स के दर्द को यह स्कूल वाले क्या जाने"....

क्लास के रिवाज़ों से सब माँ-बाप हैं अनजाने"....

होती है कितनी तकलीफ एक पेपर लिखने में"....

ये दर्द वो पेपर चेक करने वाला क्या जाने।

😂😂😂😜😉.......!!!

परीक्षा के बाद बच्चे और ऑपरेशन के बाद डॉक्टर एकही चीज़ कहते हैं,.......

"कुछ कह नहीं सकते, बस दुआ करें"।

😂😂😂😜😉.......!!!

हम जीते एक बार हैंमरते एक बार हैं".....

प्यार भी एक बार करते हैं"...

शादी भी एक बार ही करते हैं"...

तो फिर ये EXAMS बार-बार क्यों?

जागो स्टूडेंट्स (Students) जागो...!!!

😂😂😂😜😉.......!!!
Share karen aur sabhi students tak pahuchaye.😝😝
   Shared by (Shivam Raj)

नाक के बढे हुए मांस का रामबाण इलाज आप भी जाने और लोगों को भी बताएं


 

दोस्तों, हमको बहुत सवाल मिले के आप नाक के अन्दर जो मांस बढ़ जाता है, जिसको Nasal Polyps कहते हैं, उसका कोई रामबाण इलाज बताएं, हम हर संभव कोशिश करते हैं के आप तक जो भी जानकारी पहुंचाए वो बिलकुल रामबाण हो और आपको उस में फायदा ज़रूर हो. हमने ये जानकारी बहुत मुश्किल से इकठ्ठा की है. और आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहें हैं. तो आइये जाने.

नाक के बढे हुए मांस का रामबाण इलाज

Nasal Polyps जिसको आयुर्वेद में नाक का बवासीर कहते हैं. इसमें नाक में मस्सा निकाल जाता है और सांस लेने में बहुत कठिनाई आती है. इस कारण नजला, जुकाम, छींके, नाक से पानी आना, माइग्रेन तक की समस्याएँ आती है. इस के घरेलु इलाज के लिए आपको दो चीजों की आवश्यकता होगी एक तो ताम्बे के जंगार की और दूसरा शहद की

ताम्बे का जंगार बनाने की विधि

ताम्बे के जंगार को इंग्लिश में Verdigris कहते हैं. इसको घर पर बनाने के लिए ताम्बे को कुछ दिन किसी हलके एसिड में रख कर फिर इसके ऊपर से जो जंगार उतरती है उसको बोलते हैं यह आयुर्वेदिक दवा केंद्र पर मिल जायेगा नहीं तो आप ताम्बे की किसी चीज वस्तुतः कोई सिक्का या कोई भी छोटी मोटी वस्तु को एक हफ्ते के लिए सिरके में डालकर बंद कर रख दीजिये, सिरका इतना डाले के ताम्बे की वास्तु पुर्णतः डूबी रहे. एक हफ्ते के बाद सिक्के निकाल लीजिये, अभी इस जंगार को किसी अच्छे कपडे से छानकर निकाल लीजिये यह नीला हरा या लाल रंग का हो सकता है.

यह बनाने की कोशिश तभी करना जब आपको बाज़ार से ये बना बनाया ना मिले. अन्यथा परेशान होने की ज़रूरत नहीं. उपरोक्त विधि सिर्फ आपके मार्ग दर्शन के लिए बताई है. Verdigris आपको online भी available हो सकता है. अभी ये आपको Try करना है

बाज़ार से ताम्बे का जंगार लाकर इसको शहद के साथ अच्छे से घोट लीजिये. इसके लिए आप रसोई में रखी हुयी खरल (जिस से मसाला कूटते हैं) का इस्तेमाल कीजिये. अच्छे से घोट लीजिये. कम से कम 15 मिनट तक घोटिये, दोनों एक जान हो जाने चाहिए. अब इस मिश्रण को किसी खुले मुंह वाली शीशी में डालकर रख दीजिये. सुबह और शाम एक बत्ती को इस मिश्रण में भिगो कर अपने नाक में रखें. बाती आप कॉटन से घर पर बना सकते हैं. लम्बी बाती बनाये जितना वो नाक के अन्दर तक रखी जा सके. हर बार नयी बाती इस्तेमाल करें. कुछ दिन सुबह शाम के उपयोग से Nasal Polyps की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा.

Nasal Polyps में सूत्र नेति भी बहुत कारगार उपाय है. इस में धागे के एक हिस्से को नाक के एक छेद में डालकर मुंह से बाहर निकाला जाता है, फिर दोनों तरफ से घर्षण किया जाता है. जिस से ये धीरे कट जाता है. फिर इसके बाद में जल नेति करवाई जाती है. जल नेति में जल को नाक के एक तरफ डालकर मुंह से निकाला जाता है
   

Narendra modi the real hero..



Wednesday, 7 December 2016

Supporting Jay lalita zee .

HONESTLY IS THE BEST POLICY

काम की तलाश में इधर-उधर धक्के खाने के बाद निराश होकर दीनू घर लौटने लगा। तो पीछे से एक आवाज आई। ऐ भाई! यहाँ कोई मजदूर मिलेगा क्या?' उसने पीछे मुड़कर देखा कि एक बूढ़ा तीन-तीन गठरियाँ उठाए खड़ा है। उसने कहा - हाँ! बोलो क्या काम है? मैं ही मजदूरी कर लूँगा।'

यह तीसरी गठरी जरा भारी है। तुम इसे उठा लो, मैं तुम्हें दो रुपए दूँगा।' दीनू ने कहा - 'ठीक है! चलो आप बूढ़े हैं। इतनी मदद तो मैं यूँ ही कर दूँगा।' इतना कहकर वह गठरी सिर पर रखकर चलने लगा। चलते-चलते दीनू ने बूढ़े से कहा - गठरी काफी भारी है, इसमें है क्या?'
बूढ़े ने धीरे से कहा - इसमें एक-एक रुपए के सिक्के हैं।' चलते-चलते दीनू ने देखा कि बूढ़ा उस पर नजर रखे है। उसने सोचा यह बूढ़ा सोच रहा होगा कि कहीं यह भाग नहीं जाए। पर मैं इतना बेइमान एवं लालची नहीं हूँ। मैं सिक्के के लालच में फँसकर बेइमानी नहीं करूँगा।

कुछ दूरी तय करने पर रास्ते में एक नदी पड़ी। दीनू ने देखा कि बूढ़ा थका हुआ है। उससे यह नदी पार नहीं होगी। उसने बूढ़े से कहा - 'बाबा आप थक चुके हैं। यदि आप ठीक समझें तो इन दो गठरियों में से एक और गठरी मुझे पकड़ा दें। मैं इसका बोझ आसानी से सह लूँगा।'
बूढ़े ने रुककर दीनू से कहा - 'ठीक है! लो पर तुम इसे लेकर कहीं भाग न जाना। इसमें चाँदी के सिक्के हैं।'
दीनू बोला - 'भला मैं क्यों भागूँगा? मैं आपको चोर, बेइमान दिखाई देता हूँ क्या? मैं धन के लालच में किसी को धोखा देने वाला नहीं हूँ।'
दीनू ने दूसरी गठरी उठाई और नदी पार कर ली। चाँदी के सिक्कों का लालच भी उसे डिगा नहीं पाया।

थोड़ी दूर चलने के बाद सामने एक पहाड़ी आ गई। बूढ़े ने फिर कहा - 'ए भाई! मैं तो ठीक से चल भी नहीं पा रहा हूँ।

ऊपर से कमर पर गठरी का बोझ और फिर पहाड़ी की चढ़ाई।'

दीनू बोला - लाइए बाबा यह गठरी भी मुझे दे दीजिए।'
बूढ़े ने कहा - 'कैसे दे दूँ?
इसमें तो सोने के सिक्के हैं। अगर तुम इसे लेकर भाग गए तो मैं बूढ़ा तुम्हारा पीछा भी नहीं कर सकूँगा।'
दीनू बोला - कहा ना, मैं ऐसा आदमी नहीं हूँ। ईमानदारी के चक्कर में ही मुझे मजदूरी करना पड़ रही है। वरना मैं एक सेठ के यहाँ मुनीम की नौकरी करता था। सेठ मुझे हिसाब में गड़बड़ करके लोगों को ठगने के लिए दबाव बनाता था। तब मैंने ऐसा करने से मना किया, तो उसने मुझे नौकरी से निकाल दिया।' तो फिर ठीक है। तीसरी गठरी भी तुम्हीं उठा लो, मैं धीरे-धीरे पहाड़ी चढ़ता हूँ।'

दीनू अब सोने की गठरी भी उठाकर चलने लगा। इस समय उसके दिमाग में आया कि यदि मैं तीनों गठरी लेकर भाग जाऊँ तो यह बूढ़ा मेरी पीछा भी न कर सकेगा और मैं एक झटके में मालामाल हो जाऊँगा। तब मेरी पत्नी भी खुश हो जाएगी। पैसा होगा तो इज्जत ऐशो आराम सभी कुछ मिलेगा। दिमाग में इतना आते ही उसके दिल में लालच आ गया और वह तीनों गठरियों को लेकर भाग खड़ा हुआ।
घर पहुँचकर उसने गठरियों को खोलकर देखा तो वह अपना सिर पीटकर रह गया। क्योंकि गठरियों में सिक्कों की आकृति के मिट्‍टी के ढेले थे।

वह सोच में पड़ गया कि बूढ़े ने ऐसा नाटक क्यों किया? तभी उसकी पत्नी को मिट्‍टी के सिक्कों में एक कागज मिला जिस पर लिखा था - 'यह नाटक इस राज्य के खजाने की सुरक्षा के लिए किया गया था। परीक्षा लेने वाला बूढ़ा कोई और नहीं स्वयं महाराज ही थे। तुम इस तरह नहीं भागते तो तुम्हें मंत्री पद मान-सम्मान सभी कुछ मिलता, कोई बात नहीं। अब दीनू को ईमानदारी की कीमत समझ आ गई थी।